जिनगी के का भरोसा

जिनगी के का भरोसा कब सिरा जही
तेल के बढ़ात देरी हे दीया बूता जही
दुःख-सुख म सबके काम आ रे मनखे
इहि जस तोर चोला ला सफल बनाही

झन अकड़बे पइसा के गुमान म कभू
समय के लाठी परही त सब बदल जही
एखर थपेड़ा ले धनमान होथे कंगला
किरपा होहीे त कंगला, धनमान बन जही

जुरमिल रईबे त जम्मो दुःख लेबे झेल
अजुरहा बर काँकर घलो पहाड़ बन जही
अपन बर सब जिथे ,दूसर के घलो सोंच
दुःख के नीरस सुरूज हा घलो ढल जहि

झन फस चारी-चुगली के मेकराजाला म
तोर पुन परताप जम्मों अभीरथा हो जही
सुरूज कस नही ,अपन पुरती तो बर के देख
दुनिया ले एक दिन अंधियार मिट जही|
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सुनिल शर्मा
देवांगन पारा(शिक्षक कॉलोनी)
थान खमरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना दिनाँक 9/4/2015,बिरस्पत

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10 Thoughts to “जिनगी के का भरोसा”

  1. Dev kumar verma

    ना जाने हमर जमाना ला काय होगे. आप मन के प्रयास बने लगीस. राम राम.

  2. hemant kumar manikpuri

    बड़ सुघ्हर रचना हे सुनिल भैया!

  3. Ashwani Janghel

    बहुत बढ़िया शर्मा जी आपके लेख ल पढ़ के मन गद गद होगे

  4. Mahendra Dewangan Maati

    बहुत बढ़िया रचना हे
    शर्मा जी बधाई हो

  5. sunil sharma

    आप जम्मो झन के मया अउ दुलार बर धन्यवाद ……छत्तीसगढ़ी जियव….छत्तीसगढ़ी बोलव…छत्तीसगढ़ी बर जउन हो सकय अपन डाहर ले करव भैया हो इही जम्मो भाई मन ले अपेक्षा अउ गोहार हे….राम राम…जय छत्तीसगढ़ महतारी

  6. सुनिल

    आप जम्मो झन के मया बर धन्यवाद भाई हो……मया बनाए रखहू…जय छत्तीसगढ़ महतारी……..

  7. सुनिल

    छत्तीसगढ़ी बोलव..छत्तीसगढ़ी लिखव…छत्तीसगढ़ी जियव

  8. sunil

    छत्तीसगढ़ी बोलव..छत्तीसगढ़ी लिखव…छत्तीसगढ़ी जियव

  9. सुनिल शर्मा

    जम्मो भाई मन ला जय जोहार

  10. महराज लोरी के चंदा के ऊपर कोंनो पुस्तक हवै का थोड़ कण सुचना दुहु भई

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